लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

३४- श्रेया पहुंची अपने घर-

श्रवन ने श्रेया को उसके बेडरूम में ले जाकर  पहले तो अच्छे से पूरा सैनिटाइज किया। श्रेया के कपड़े बदलवाए और बेड की चादर बदलवाई। उसके बाद ही श्रेया को बिस्तर पर जाने दिया। श्रेया सब  करने के बाद चेंज करके अपने बेड पर गई। तो उसे एक अलग ही सुकून महसूस हुआ। अपने बेड पर बैठकर उसने अपनी बेटी को गोद में लिया। आज  एक मातृत्व  का भाव उसे अंदर से झकझोर रहा था। जो उसे अस्पताल में कभी फील नहीं हुआ था, क्योंकि उसने अस्पताल में इतनी सकून से अपनी बेटी को कभी गोद में लेकर नहीं खिला पाया था।आज पहली बार उसे ऐसा लग रहा था, कि मां बनना दुनिया की सबसे बड़ी खूबसूरत अनुपम देन है भगवान की। इसके बिना नारी कभी पूर्ण नहीं हो सकती, मां बनने के बाद ही उसके अंदर पूर्णता आती है। मां बनने के बाद एक नारी के अंदर धरती जैसा धैर्य और मां की ममता,त्याग बलिदान की भावनाएं स्वत: ही जागृत हो जाती हैं, मां बनना बड़े ही सौभाग्य की बात होती है वही सारी भावनाओं को श्रेया अनुभव कर रही थी। आज उसे ऐसा अनुभव हो रहा था, कि पता नहीं उसे दुनिया की कौन सी धरोहर मिल गई है। श्रेया का मन अत्यंत खुशी से फूला नहीं समा रहा था। अपनी बेटी के मुख को श्रेया अपलक निहार रही थी। इतने में श्रेया की मां कमरे में आई। परंतु श्रेया  अपनी बेटी को निहारने में इतनी मग्न थी।  उसे पता ही नहीं चला, कि मां कब कमरे में आ गई। मां ने आवाज लगाई। श्रेया........ श्रेया........

मां की आवाज सुनकर श्रेया चौंकी। और बोली- हां मां हां, आइए आइए। मां अंदर आई। श्रेया ने मां को  बैठने के लिए कहा- मां अंदर आकर अपनी बेटी श्रेया के पास बैठ गई। और श्रेया के सर पर हाथ फिराने लगी। वाह वाह! अभी यह दृश्य देखने वाला था,  यहां पर दो मां बैठी थी और दो बेटियां थी।श्रेया अपनी बेटी के सर पर हाथ फेर रही थी और श्रेया की मां अपनी बेटी के सिर पर। इतने में श्रवन अंदर आया और उसने यह दृश्य देखा। और वह देखता ही रह गया। उसके हाथ में फोन  तो था ही,  श्रवन ने इस सुहाने और मनमोहक दृश्य को कैमरे में कैद कर लिया। और एक साथ कई चित्र खींच लिये। वह क्षेत्र खींच ही  रहा था। कि श्रेया की नजर उस पर पड़ी। और उसने पूछा कि क्या कर रहे हैं आप? श्रवन ने कहा- कुछ नहीं फोटो क्लिक कर रहा हूं, और कुछ नहीं कर रहा हूं। क्या हुआ?मुझे दिखाइए। कैसी फोटो है ?  खींची हुई फोटो को देख कर श्रेया भावविभोर हो गई और एक साथ दो मां और दो बेटियों को देखकर श्रेया ने मां की ओर निहारा। मां के मन में श्रेया को एक आत्मविश्वास झलकता हुआ दिखाई दिया और उसे खुद भी बहुत ही आत्म संतोष अनुभव हो रहा था। आज घर में सभी सुख का अनुभव कर  रहे थे।

श्रेया ने अपनी बेटी को मां के हाथों में सोचते हुए कहा- कि जाओ। नानी की गोदी में खेलो। श्रेया की मां यह शब्द सुनकर इतनी खुश हुई कि उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलकने लगे। श्रेया ने मां से पूछा- कि मां यह क्या है? आप रो क्यों रही हैं? तो उस समय श्रेया की मां ने कहा- कि मैं इस दिन के लिए कितना तड़प रही थी, मैं नानी बनने के लिए कितना व्याकुल थी।  तुम नहीं जानती, परंतु मैंने कभी तुम्हारे सामने यह नहीं कहा- इससे कि तुम्हें दुख ना हो। आज मैं नानी बन चुकी हूं। एक प्यारी सी सुंदर परी की नानी। इसलिए यह मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं।आज सुंदर परी मेरी गोद में है,और मैं उसकी नानी हूं । मैं कैसा अनुभव कर रही हूं, मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मेरी खुशी मैं तुम्हें वयां नहीं कर सकती, कि मैं आज कितना खुश हूं। कहते-कहते श्रेया की मां बेड से उठी। और कमरे के बाहर अपने पति के पास पहुंची । नातिन को गोद में देखकर श्रेया के पापा फूले न समाए। श्रेया की मां ने उनकी नातिन को उनकी गोद में डाल दिया। श्रेया के पापा अपनी नातिन को गोद में उठा कर तो भाव विभोर हो गए। उन्होंने अपनी नातिन को ढेर ढेर आशीर्वाद दिये। उन्होंने ₹5000 निकाले और अपनी नातिन के ऊपर से उतार कर उन्होंने कहा-कि इनको श्रेया को दे दो। पैसे उतारने के बाद उन्होंने बहुत देर तक अपनी नातिन को अपनी गोद में खिलाया।और उसकी सूरत देख देख कर खुश हो रहे थे। उसको खिलाते खिलाते उसके नानू कह रहे थे, कि जब श्रेया छोटी थी तो ऐसी ही लगती थी। ये तो बिल्कुल  श्रेया के अनुरूप ही है। हमारी हमारी छोटी प्यारी श्रेया.......।

इतने में श्रेया की ननद रक्षा वहां आ गई और उसने नन्ही परी को खिलाना चाहा। उसने नानू की गोद से नन्ही परी को ले लिया। और वह उसको खिलाने लगी। श्रेया की बेटी इस समय घर में जैसे खिलौना हो गई हो। जब देखो जो देखो उसको खिलाता रहता था, जब रक्षा नन्ही परी को गोद में लिए हुए थी, तो श्रेया के ससुर जी वहां आ गए और उन्होंने रक्षा की गोद से अपनी पोती को ले लिया। गोद में लेते ही तो दादा जी इतने खुश हो गए, उन्हें दुनिया की कोई खबर ही ना रही है। झट से रक्षा बोली, अच्छा पिताजी ,आज मैं कुछ नहीं रह गई। यह आपके लिए सब कुछ हो गई है, तो बेटा जी ने कहा- नहीं नहीं रक्षा तुम्हारी अपनी जगह है. तुम मेरी बेटी हूं.। परंतु यह तो मेरी पोती है, घर में सबसे भी ज्यादा प्यारी है। मुझे अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यारी है। क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो रक्षा होगी,।  यह मेरी आंखों की तारा है मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं आखिर यही दुआ जो हूं पिताजी ने कहा तुम बुआ हो तो मैं दादाजी हूं इसका। इतने में रक्षा की मां बोल पड़ी बोली तुम बुआ हो तुम दादाजी हो और क्या मैं इसकी कुछ नहीं लगती। मेरी पोती को मुझे दे दो मैं भी इसको खिला दूं। आखिर यह मेरी पोती है और अस्पताल में मेरे पास ही रहती थी। इसे मेरी आदत पड़ गई है, यह कहकर रक्षा की मां ने अपनी पोती को गोद में ले लिया। रक्षा के पिता जी बोले तुम तो इसको अस्पताल में खिलाती थी, इतने दिन तो यह तुम्हारे पास ही थी। जय अब हमें खिलाने दो अब तुम्हारा नंबर बाद में आएगा। यह कहकर रक्षा ने नन्ही परी को गोद में ले लिया।और फिर वह जल्दी से बाहर चली गई।

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6 Comments

Pallavi

22-Sep-2022 09:36 PM

Beautiful

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Kaushalya Rani

21-Sep-2022 06:22 PM

Beautiful

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Barsha🖤👑

21-Sep-2022 05:28 PM

Very nice

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